16 Jul, 2025

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मैने जिंदगी के पलों को शब्दो में पिरोया है कुछ पन्नो पर है खुशी तो बाकी सारे प
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सुनो जरा ..
जज्बातों का खेल नहीं है
ये जिंदगी
किसी सपनो का मेल नहीं है
ये जिंदगी

जिंदगी तो मिलाती और बिछड़ती
राहों का सबब है
ठोकरों को झेल नहीं
पाती है ये जिंदगी

खुश रखना और रहना
सब अपने हाथ में है
किस्मतों पर यूं
चल नहीं पाती है ये जिंदगी

माना मुमकिन से नहीं है ये वादे
पर नामुमकिन से समझे
कहां है ये जिंदगी

जिंदगी तो जीना है
और खुशी खुशी गमों को पीना है
हार जाना कहां है ये जिंदगी

सहारो पर चलती
ठोकरों के साथ अकेलापन
हर बात पर सबक
है ये जिंदगी

 

उन्हें गए तो महीनों हो गए
तुम अब आए हो
तुम तो उस वक्त कहते थे ना
की तुम तो उसके साए हो

वो कहने लगे की
अब तो उनका पता दे दो
चाहे फिर बाद में
जो भला सजा दे दो

मुस्कुराकर कहने हम भी लगे
ना पता ना ठिकाना ना कोई सबूत दे पाता है
तुम जरा गौर से देखो आसमां को लोग कहते है की मरने के बाद इंसान तारा बन जाता है

तुम्हारा इंतजार बहुत था
पर तुमने आने में देर कर दी
अब जो झलके तुम्हारे आंखो में आंसू है
सुनकर उसकी कहानी देर से सवेर कर दी

तुम्हारी आंखों की तड़प देख कर
वो आंसुओं को देख पाएगा
उसी मचलती आंखो को शायद वो तारा नजर आ जायेगा

RUBARU MAI MUJHSE

The poet of this book is Gunjan Aalria. Her poems inspire us to write and think about social and life related issues in our own words. Some parts of the moments of his life have been preserved in this book through his words and poems.

सुनो जरा .. जज्बातों का खेल नहीं है ये जिंदगी
किसी सपनो का मेल नहीं है ये जिंदगी
जिंदगी तो मिलाती और बिछड़ती राहों का सबब है
ठोकरों को झेल न पाती है ये जिंदगी
खुश रखना और रहना, सब अपने हाथ में है
किस्मतों पर यूं चल नहीं पाती है ये जिंदगी
माना मुमकिन से नहीं है ये वादे, पर नामुमकिन से समझे कहां है ये जिंदगी
जिंदगी तो जीना है, और खुशी खुशी गमों को पीना है
हार जाना कहां है ये जिंदगी
सहारो पर चलती,
ठोकरों के साथ अकेलापन, हर बात पर सबक है ये जिंदगी