
ऊबना
कोई रिश्तों से ऊबता है
तो कोई रिश्तों के बदलाव से
कोई विश्वास से ऊबता है, तो कोई ज्यादा ही लगाव से
परेशानियां सब झेलनी पड़ती है
तो सच्चे प्यार से
जिसमे खुद को इतना जलाया था
वो अब लम्हे है बेकार से
सच जानने निकलो तो बहाने हजार से
झूठ जानो तो सच्चे बीमार से
हैसियत बहानो की मोहताज हो गई है
उनकी बात करने जाओ तो सिरहाने दरार से
अगर दिखावे का दिल बनवाओ तो अच्छे कुम्हार से
अगर तुड़वाना हो तो, मिलो हमारे यार से,
पर जरा प्यार से..!