लगाव
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लगाव

ये जिंदगी के जितने बदलाव है

इन सबसे ही मेरा लगाव है

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जब जब कतरा कतरा बिखरा है

हमेशा कुछ ना कुछ निखरा है

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पर हर वक्त दिल में डर बना रहता है

आस पास का समां खामोश रहने को कहता है

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मुझे डर इस बात का नही की हम सब हार कर सो देंगे

डर इस बात का ठहरा की लड़ाई में अपनो को खो लेंगे

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अपने जैसे रिश्ते मिलते नहीं आजकल

मतलबी दुनिया सब में स्वार्थ दिखता है हर पल

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मेरी उम्मीदें बस एक इंसान से है

वो ही आजकल बेजुबान से है

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उन्हें फर्क नही पड़ता की उसे खो ना दूं

पर मुझे फर्क पड़ता है कि, गलती से कहीं रो ना दूं

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ये काश कुछ पल कहने पर चलते

क्योंकि वक्त नहीं लगता वक्त बदलते

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जो भी हो पर बदलाव अच्छा है

अपनो को ना खोऊ तो लगाव अच्छा है..|

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