
माँ
माँ एक शब्द में, सिमटा पूरा संसार है,
माँ की ममता पूरे जग में आपार है,
इस जमाने का मोह, आज के रिश्ते, सब व्यापर है,
स्वार्थ सा मन, सब और माया, स्वार्थ ही नजर आता, सब कुछ बेकार है,
माँ से कौन उलझे, मां का साया, अपनेपन से कहीं बढ़कर,
माँ और बच्चे का प्यार है,
कौन है समझा, कौन है समझ पाया,
माँ की लीला, अपरम पार है,
आज कल रिश्ते, मानो बस व्यापार है,
माँ के साथ बिताया हर पल, उसने सुलझाया हर प्रश्न, जीत जाती वो हर बार है,
माँ बच्चे का ये रिश्ता, कभी ना टूटे ऐसा रखती माँ अपना आधार है,
माँ माँ है, उसके जैसा ना कोई अनोखे रिश्ते की, दुनिया में भरमार है,
एक सच्चा रिश्ता माँ बच्चे का, माँ ही सच्चा प्यार है..