
पैसा
पैसे से है दुनिया चलती,
पैसे का ही राज है
पैसे के पीछे दुनिया भागे
पैसे से ही सिर पर ताज है
मेला लगा है गांव में मेरे
ठगने को लोग आए है
दस का तीस मांगे
बीस तो लोग लगाकर आए है
मैं ना जानू पैसे को
रिश्ते इसने तोड़े है
अपने मेरे छीन लिए
सबको पीछे छोड़े है
मैं ना मानू रीत पैसे की
प्रीत जो सबसे लगाई है
पैसे ने ही आग लगाई
और पैसे ने ही बुझाई है..