दहेज प्रथा
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दहेज प्रथा

दहेज एक बेटी के साथ जुड़ा हुआ वो रिश्ता है,

जिसमें एक अच्छा पिता पिसता है ,

दहेज मानों भीख मांगने का दूसरा रास्ता है ,

इसकी जड़े, इसका पेड़, बस लड़की वालो से ही वास्ता है ,

एक लड़की को जन्म देकर पालन पोषण भी करता है,

वो घर ही बेटी के ससुराल के आगे घुट के मरता है ,

अगर मांग करे ससुराल वाले तो भी पिता पिसेगा ,

अगर ना भी करे तो दुनिया की रीत के आगे घिसेगा ,

हर घर की कहानी बेटी पराई होती है ,

उसका जो दहेज है वो उम्र भर की कमाई होती है ,

अगर रिश्ता कामयाब और सच्चा है ,

तो कहां से दहेज लेना अच्छा है ,

मैं तो अपने दिल की मानू दुनिया की ये खोखली रीत ना जानू ,

दहेज लिया मानो मुंह पर गाली ली है ,

अगर तुम अच्छे होते तो, सिर्फ एक खाने की थाली है ,

जग जग में उमड़ा ये रिश्तों का झमेला है ,

कई घरों में जिसने नहीं दिया दहेज ,

वहां चारो ओर तानों का मेला है ,

झूठी ये रीत सब दिखावा है ,

लड़की जब ले रहे हो, तो अहसान मानो,

ये झूठा मुखौटा सब ऊपरी पहनावा है..!

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