
इबादत
रातों में गुम है
कुछ ख्वाइशों में सिमटी जिंदगी जो तारो के संग पूरी होगी
वो खुला आसमां जमीं पर मेरी चादर होगी
वो चांदनी रात खुदा से मेरी इबादत होगी
मै रूबरू हो जाऊंगी खुद से
जुबां पर मेरे खुदा से मिलन से पहले
यूं गुनगुनाने की आदत होगी
भला आखिरी सांस हो वो मेरा
बस किसी को उदासी दूं मैं अगर
तो मेरी जिंदगी पर लानत होगी