इतना कि..
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इतना कि..

जिंदगी ने जिंदगी को रुलाया इतना

कि जिंदगी की हदें हो गई

खुशियों का आलम पराया इतना

कि गमों की बौछार हो गई

जिंदगी ने जिंदगी को सताया इतना

कि दूरियों का बीज बो गई

दूरियों ने तन्हाइयों को भगाया इतना

कि मेरी हैसियत खो गई

जिंदगी को ठोकरों ने जगाया इतना

कि खुद किस्मत सो गई

चारों कोनों को सुनसान पाया इतना

कि आंखे बन्द करते ही रात हो गई

edited00:24

August 31, 2022

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