
अनजाना सफर
कातिलों के महफिल में, हम आकर फस गए
कदम तो हल्के थे, फिर भी अंदर तक धस गए
दुनिया की भीड़ में ये चीख पुरानी है
लोगो के लिए फिर से एक
मेरे लिए तेरे दर्द की निशानी है
अनजाना है सफर
अब धुंधली मंजिल पर कदम डगमगाते है
जो तकलीफ है सीने में उन्हें अंदर तक पाते है
सब भुलाने की कोशिश में
चलो दूरियां बनाते है
भूल गए तो अच्छा है
इसी में अपना आसमा सजाते है